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इस पूरी कहकशाँ में तुम मेरे लिए तारों की बारात हो,

इस पूरी कहकशाँ में तुम मेरे लिए तारों की बारात हो,
मेरी बंजर रेगिस्तान ज़िंदगी में सावन की बरसात हो।
अमावस की रात भी लगती जैसे पूरे चांद की रात हो,
अगर मुस्कुरा कर दो अल्फाज़ बोलो तो क्या बात हो।

©Amit Singhal "Aseemit"
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