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मेरी साइकिल जब मैं छोटा था करीब 5 साल का तब मेने

मेरी साइकिल  जब मैं छोटा था करीब 5 साल का तब मेने साइकिल अपने चाचा को,
बड़े भाई को साइकिल चलाते देखा।तब फिर मेने भी उनसे कहा की मुझे भी साइकिल चलाना है तब फिर उन्होंने कहा कि गिर जायेगा लग जायेगी। मैं बोला की नहीं मुझे चलनी है मैं चलाऊगा।उन्होंने मना किया मैं फिर शाम को अपने दादा जी से 2 रूपये लेकर किराए की एक छोटी से साइकिल आधा घंटे के लिए ले आया और उनको मेने बताया कि मैं भी साइकिल लेकर आया हूं तुम लोग मुझे चलाना सीखा दो । बो बोले की ठीक है मैं बहुत खुश हुआ फिर क्या वो लोग मुझे पीछे बिठा के खुद साइकिल चलाते थे। कम से कम 2हफ्तो तक ऐसा हुआ।फिर एक दिन मैं बोला की मुझे साइकिल चलाना है फेरी (घूमना) नही कराना है।फिर उन्होंने कहा गिर जायेगा लग जायेगी।फिर अगले दिन मैं साइकिल फिर से लेकर आया और मैने अपने पड़ोस वाले चाचा से कहा उन्होंने मुझे साइकिल पे बैठा के बोले की सामने देखना नीचे मत देखना ,मुझे डर लग रहा था कही गिर न जाऊ वो मेरी साइकिल को पीछे से पकड़ के मुझे उस पर बिठा कर कुछ दूर तक ले जाते और छोड़ देते थे मै नीचे देखता था तो गिर जाता था और फिर कुछ दिनों बाद मैं साइकिल अपने पैर टेक टेक कर उनकी मदद से चलने लगा ।एक बार उन्होने मुझे साइकिल पर बिठाया और मै चला रहा था वो पीछे पकड़े हुए थे ।
मैं कुछ दूर तक गया और उन्होंने मुझे बिना बताए साइकिल को छोड़ दिया हर बार की तरह मैं गिर गया 
अगली बार क्या हुआ मैं साइकिल से चलाना तो सीख गया लेकिन मोड़ना nhi सीख पाया और आगे जाकर एक दीवार के पिलर से टक्कर मार दी और में गिर पढ़ा।।
करीब करीब 2 hafto तक मैने साइकिल दीवार पर मारी ।तब जाके में साइकिल चलाना सिखा। शायद आपके साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ होगा t।

©Rohit Kahar #साइकिल_वाली_कहानी
#मेरी_साइकिल
#मेरा_बचपन_मेरी_साइकिल


#WorldBicycleDay2021
मेरी साइकिल  जब मैं छोटा था करीब 5 साल का तब मेने साइकिल अपने चाचा को,
बड़े भाई को साइकिल चलाते देखा।तब फिर मेने भी उनसे कहा की मुझे भी साइकिल चलाना है तब फिर उन्होंने कहा कि गिर जायेगा लग जायेगी। मैं बोला की नहीं मुझे चलनी है मैं चलाऊगा।उन्होंने मना किया मैं फिर शाम को अपने दादा जी से 2 रूपये लेकर किराए की एक छोटी से साइकिल आधा घंटे के लिए ले आया और उनको मेने बताया कि मैं भी साइकिल लेकर आया हूं तुम लोग मुझे चलाना सीखा दो । बो बोले की ठीक है मैं बहुत खुश हुआ फिर क्या वो लोग मुझे पीछे बिठा के खुद साइकिल चलाते थे। कम से कम 2हफ्तो तक ऐसा हुआ।फिर एक दिन मैं बोला की मुझे साइकिल चलाना है फेरी (घूमना) नही कराना है।फिर उन्होंने कहा गिर जायेगा लग जायेगी।फिर अगले दिन मैं साइकिल फिर से लेकर आया और मैने अपने पड़ोस वाले चाचा से कहा उन्होंने मुझे साइकिल पे बैठा के बोले की सामने देखना नीचे मत देखना ,मुझे डर लग रहा था कही गिर न जाऊ वो मेरी साइकिल को पीछे से पकड़ के मुझे उस पर बिठा कर कुछ दूर तक ले जाते और छोड़ देते थे मै नीचे देखता था तो गिर जाता था और फिर कुछ दिनों बाद मैं साइकिल अपने पैर टेक टेक कर उनकी मदद से चलने लगा ।एक बार उन्होने मुझे साइकिल पर बिठाया और मै चला रहा था वो पीछे पकड़े हुए थे ।
मैं कुछ दूर तक गया और उन्होंने मुझे बिना बताए साइकिल को छोड़ दिया हर बार की तरह मैं गिर गया 
अगली बार क्या हुआ मैं साइकिल से चलाना तो सीख गया लेकिन मोड़ना nhi सीख पाया और आगे जाकर एक दीवार के पिलर से टक्कर मार दी और में गिर पढ़ा।।
करीब करीब 2 hafto तक मैने साइकिल दीवार पर मारी ।तब जाके में साइकिल चलाना सिखा। शायद आपके साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ होगा t।

©Rohit Kahar #साइकिल_वाली_कहानी
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Rohit Kahar

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