White कौन सुनता है भला अब आरज़ू, सो ख़ामोश है दिल। घुट रहा हूँ मैं बहुत पर क्या करूँ, सो ख़ामोश है दिल। सामने दिल के खड़ा है दिल को बेहद अज़ीज शख़्स, पर नहीं वो चाहता है गुफ़्तगू, सो ख़ामोश है दिल। रात में मैं देखता हूँ दूर उस को जाते हुए पर ख़्वाब में उसको भला मैं क्या कहूँ, सो ख़ामोश है दिल। शख़्स इक बेबाक सा जो दिख रहा है अब बेज़ुबां सा, हाल अपना देखता हूँ हू-ब-हू, सो ख़ामोश है दिल। चाहता है शेर कहना दिल मगर सुबह दफ्तर भी है, शौक जो टपका रहा है यूँ लहू, सो ख़ामोश है दिल। आज जो शायद मुझे झोंका समझ कर के गुजर जाए, कल वहीं होंगे तूफ़ां से रू-ब-रू, सो ख़ामोश है दिल। अब तलक गोविन्द तू उसके लिए ग़ज़ले कह रहा है, जो कहे है इश्क़ मेरा और तू! सो ख़ामोश है दिल। चारण गोविन्द मुद्दत बाद एक मुक़म्मल ग़ज़ल। #poeatry #Shayar #CharanGovindG #govindkesher #actual_poet #Love #gazal #Dil #Hindi #love_shayari