I am not forget to previous pain,new one pain is borrow. You can't imagine my depth of sorrow. HIMMAT SINGH कितने जख्म को खरीद लेता हूं , मेरी कोई भी तकाजा नहीं है मेरी ग़म की गहराई का तुझे रता बर भी अंदाजा नहीं। तकाजा-आवश्यकता ,हिम्मत सिंह writing #thinking #Punjabi poetry# Hindi poetry #Urdu poetry # I am not forget to previous pain,new one pain is borrow. You can't imagine my depth of sorrow. HIMMAT SINGH कितने जख्म को खरीद लेता हूं , मेरी कोई भी तकाजा नहीं है मेरी ग़म की गहराई का तुझे रता बर भी अंदाजा नहीं है। तकाजा-आवश्यकता ,हिम्मत सिंह