आज अन्धेरा हुआ है, कल फ़िर सवेरा होगा, गर बेगर है घर से तो सबर रख मुशाफ़िर, तेरा भी कही तो डेरा होगा, तन्हा है तु मन्चला हैं ऎ दिल्ल, तड़पना छोड़ दे, तेरा भी किसी के दिल्ल मे कभी, बसेरा होगा, कि तेरा यु टूटना जायज तो है मगर, तु भि किसी के जीने का आसरा होगा, शक को दरिया में डाल आओ, तजुर्बे वालो कि सलाह हैं, इश्क़ करो बेहद साखी, वो किसी ओर जनम में तो तेरा होगा, बीना मतलब रेहमते कर रहा है, हो ना हो वो बंसी वाला बान्वरा होगा, शक्शियत कि अपनी तलाश कर रहा किताबों में, हमराही तु भी कभी तो आन्वारा होगा, ©Karan chauhan आज अन्धेरा हुआ है, कल फ़िर सवेरा होगा, गर बेगर है घर से तो सबर रख मुशाफ़िर, तेरा भी कही तो डेरा होगा, तन्हा है तु मन्चला हैं ऎ दिल्ल, तड़पना छोड़ दे, तेरा भी किसी के दिल्ल मे कभी,