मार लो लाख ताने, या कोस ले जी भर के चलो ठीक है, बेड़ियाँ भी डाल कर देख लो पैरों में... लेकिन, अगर फिर भी रोक न पाओ, तो मायूस न होना. भला हवा और पानी क़ैद रहते हैं कभी? हुनर का चलन भी कुछ ऐसा ही है समझो! थोडीसी जगह भी मिले, तो बह निकलता है. तुम बैठे रहो ज़िद पकड़ के अपना भी यक़ीन है ख़ुद पे! जब तक दिल में उम्मीद और जिस्म में साँस है, ज़िन्दगी का बहाव तेज़ ही रहेगा! फिर मार लो लाख ताने, या कोस ले जी भर के...