दूर के आवाज़ भी सुहावने होते हैं मैं नदियाँ किनारे बैठा था , शाम होने को था, दुर दुर से पेड़ पौधे की सर - सर आवाज़ भी दूर से सुनने पर सुहावने लग रहे थे। चिड़ियों का चहकना, झरना नदियों का खलखल बहना, दुर से सुनने में बहुत ही सुहावने लग रहा था। मानों हमें कुछ कह रहे हैं ऐसा लग रहा है, प्रकृति हमें जीना सीखा रही है।। ©Rudra chhattarpal singh shandilya #रुद्रकिकविताएं #sharadpurnima