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ना जाने क्यूँ ये सफ़र इतना खुबसूरत क्यूँ लग रहा है

ना जाने क्यूँ ये सफ़र इतना खुबसूरत क्यूँ लग रहा है मुझे;
 ना जाने अब कौन सी तूफ़ान के आने से पहले की खामोशी है;
 ना जाने क्यूँ ये शहर ही अब मयखाना लग रहा है;
ना जाने अब किस बात की सज़ा मैंने पानी है;
मंज़िल जाने क्यूँ धूँधली सी नज़र आती है ; 
ना जाने अब जिन्दगी में कौन सी बात रूहानी है...

©Sakshi Singh #Rose #sunaharikalamse #aadyapoetry #Zindagi #pyaar
ना जाने क्यूँ ये सफ़र इतना खुबसूरत क्यूँ लग रहा है मुझे;
 ना जाने अब कौन सी तूफ़ान के आने से पहले की खामोशी है;
 ना जाने क्यूँ ये शहर ही अब मयखाना लग रहा है;
ना जाने अब किस बात की सज़ा मैंने पानी है;
मंज़िल जाने क्यूँ धूँधली सी नज़र आती है ; 
ना जाने अब जिन्दगी में कौन सी बात रूहानी है...

©Sakshi Singh #Rose #sunaharikalamse #aadyapoetry #Zindagi #pyaar
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Sakshi Singh

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