पूछा हाल शहर का.. तो मुस्कुरा के बोलें लोग तो जिंदा हैं... ज़मीरों का पता नहीं..!! बहुत जुदा है औरों से मेरे दर्द की कैफियत, ज़ख्म का कोई पता नहीं और तकलीफ की इन्तेहाँ नहीं...... #kafiyat