परेशान हा मै हु परेशान , क्यों की जितनी सोची थी जिंदिगी उससे भी कड़वी निकली ,समय के थपेड़ों ने ऐसा मारा है कि देखते देखते सब बिखर गया, अब चाह कर भी सब समेट नहीं सकता ,बहुुत रुलाया है रे तूने ए जिंदगी ,मुझे भी हक़ था खुश रहने का ,अगर सब कुछ लेना ही था तो शुरू से ही न दिया होता कुछ भी ,तू तो आज कल के इंसान से भी गयी गुजरी निकली अब इसे तेरी गलती कहूं या मुझें सजा दिया तूने ,अगर गलती की है तूने तो कभी माफ़ नही करूँगा मै, अगर सजा दी है तो फिर मुझे मेरी गलती बता। #परेशान #अनियंत्रित #जिंदगी