ये जो शख्स है,अक्सर जो उदास रेहता है, खुशी का एक आध पल ही उसके पास रेहता है, झुका रेहता है सिर इसका न जाने क्यों हर दम, खुदा पे इतना अटूट,, कैसे विश्वास रेहता है l ये खुश है मस्त है, ये सबसे कहता है. दुख का एक आंसू भी न आँखों से बेहता है, मैं हैरत हूँ न जाने को कौन हिम्मत ये देता है l