किसी को किसी का एतबार है दिल क्यूँ मेरा बेक़रार है तुम्हारी हथेली की वह नजाकत मेरे आँखों में कैसा ये सैलाब है डगर है मगर है इधर है उधर है दिल गली में जाने को न तैयार है चाँद को भी बेक़रारी का ऐहसास है छत पर मेरे आज चाँदनी बेशुमार है क़बूल है मक़बूल है इकरार है दिल के करार का बस इंतज़ार है फ़िज़ा में कैसी ये ख़ुमारी है क्या यह मेरे दिल का ही ख़ुमार है तेरे बदन को “सुब्रत” की जुदाई सुना है दिल को भी बहुत नागवार है.... ~©Anuj Subrat Dil ke Karaar ka bus intazaar hai.....Anuj Subrat #karaar #beshumar #ikraar #Nagvaar #eitbaar #Anuj_Subrat #subrat #MoonBehindTree