हक़ीक़त से दूर होकर, तुम मुझे ख्वाबों में ढूँढ रही हो। मैं तो तुम्हारी आँखों में छुपा हूंँ, और तुम मुझे इस दुनिया में ढूँढ रही हो। मैं तो तुम्हारी लकीरों में छुपा हूंँ, और तुम मुझे क़िस्मत में ढूँढ रही हो। मैं तो तुम्हारे अपनों में छुपा हूंँ, और तुम मुझे गैरों में ढूँढ रहे हो। मैं तो तुम्हारी नज़्म में छुपा हूंँ, और तुम मुझे अल्फ़ाज में ढूँढ रहे हो। मैं तो तुम्हारे साथ ही हूंँ, और तुम मुझे संगाथ में ढूँढ रहे हो। मैं तो तुम्हारी परछाई में हूंँ, और तुम मुझे आईने में ढूँढ रहे हो। मैं तो तुम्हारी ज़िंदगी में ही हूंँ, और तुम मुझे मंदिरों में ढूँढ रहे हो। मैं तो तुम्हारी हक़ीक़त ही हूंँ, और तुम मुझे ख़्वाबों में ढूँढ रहे हो। -Nitesh Prajapati (Niharsh) ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1104 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।