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आंतरिक संघर्षों को झेलते हुए व्यथित मन को चीरते हु

आंतरिक संघर्षों को झेलते हुए
व्यथित मन को चीरते हुए...
फिसल फिसल के भी न गिरते हुए ।।
अब मैं चलने जा रहा हूँ ...
बाबा तेरी रहमत से 
आगे बढ़ने जा रहा हूँ ...
आगे बढ़ने जा रहा हूँ ।।
Vir@d Mishra #_जय_महाकाल
आंतरिक संघर्षों को झेलते हुए
व्यथित मन को चीरते हुए...
फिसल फिसल के भी न गिरते हुए ।।
अब मैं चलने जा रहा हूँ ...
बाबा तेरी रहमत से 
आगे बढ़ने जा रहा हूँ ...
आगे बढ़ने जा रहा हूँ ।।
Vir@d Mishra #_जय_महाकाल
rjvirad5228

Rj Virad

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