आंतरिक संघर्षों को झेलते हुए व्यथित मन को चीरते हुए... फिसल फिसल के भी न गिरते हुए ।। अब मैं चलने जा रहा हूँ ... बाबा तेरी रहमत से आगे बढ़ने जा रहा हूँ ... आगे बढ़ने जा रहा हूँ ।। Vir@d Mishra #_जय_महाकाल