आहत हस्तिनापुरी में, हतभागी निर्जीव पड़े हैं स्वर्णिम स्वप्नों में कुरुकुल,हठ पर अपने पृथक अड़े हैं चौपड़ चालों के चलते, शर-शैया पर भीष्म पड़े हैं। संजय मन की बात सुना, धृतराष्ट्र के बोल बड़े हैं। #शुभाक्षरी #समसामयिक