क्या लिखूँ हालात ए मुल्क ने दिलों की दूरियाँ ख़त्म कर दीं। सड़कें भी सूनसान हैं पर वीरानियाँ खत्म कर दीं। अब तो करेले में भी मीठापन महसूस होने लगा है, हवाओं की कड़वाहट ने बीमारियाँ खत्म कर दीं। हाथ ना मिले साथ ना मिले को कोई गम नहीं यारों कोरोना ने दिलों के बीच मजबूरियाँ खत्म कर दीं। एलान ए सरकार है कि घर पर ही महफ़ूज रहो गे, क्या होगा कैसे होगा सब सरगोशियाँ खत्म कर दीं। बड़ा खर्च था दोस्तों में दावत के खिलाने पिलाने में, "आदित्य"ने इन हालातों में दोस्तियाँ खत्म कर दीं। #सरगोशियाँ--कान में चुपके से कहना। आदित्य गुप्ता ©Aditya Gupta #PoetInYou