फिर से वहीं गलियां वहीं रास्ते उन पुरानी यादों से रूबरू कराने लगती है तो वो बचपन की यादें हंसी की मीठी ठिठोली उन लम्हों में वापस ले जाना चाहती है वो पुरानी राहें एक किस्सा और पीछे छूट सा गया है वो किसी की मदमस्त हंसी गुमनाम सी हो गई है फिर से यांदे तन्हाई में अक्सर उससे इस्तकबाल सी करने लगी है बहुत कसोटने लगी है वो पुरानी राहें✍️✍️ मेरी कलम✍️✍️ एक शायर ने कहा है उन्हीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे मुझे रोक रोक पूछा तेरा हम सफ़र कहाँ है.. बशीर बद्र हर किसी की ज़िंदगी इन्हीं पुरानी राहों से हो कर गुज़रती है। लिखें इस के बारे में। #पुरानीराहें