#खामोशी (horror) रात के घने अंधेरे में, एक खामोशी छाई थी... सन्नाटे के बीच कही से कुछ अवाज़े आई थी... कुछ बातो ने मेरे मन को अंदर झंकझोर दिया... उस मंज़र ने क्षण भर मुझको कुछ ऐसे भावविभोर किया... एक वाद विवाद सुना मैंने जो मेरे मन को डरा गया... उस खामोश सी रात में एक रिश्ते को फिर से छला गया... ये बेटी है, मैं इसका भार जीवन भर उठा नही सकता... इसको मारो या फेको, मैं इसको पाल नही सकता... हाय कैसी ये विचारधारा और कैसा पागलपन है ये... बेटे-बेटी में फर्क करे, तो कैसा अपनापन है ये... उस रात मेरे मन पर कोई काबू ना रह पाया था... कैसे कुकृत्य ये होने दूँ, मन मेरा बहुत घबराया था... फिर आंसू पोछ मैंने पुलिस से सारी बाते कह डाली... उसी वक़्त मैंने एक बेटी के जीवन की नींव डाली... अगली सुबह उस पिता को मैंने बहुत देर तक समझाया... माँ लक्ष्मी का अवतार है ये, जो चलकर तेरे घर तक आया... आंसू हम दोनों की आंखों में बहुत देर तक छाते रहे... मेरे आंसू खुशियों के थे, उसको पाश्चाताप के आते रहे... आज मैंने समाज में होने वाले एक पाप रोक दिया... बेटी को बोझ समझने वाले, एक बाप रोक दिया... -Ravi sharma #khamoshi #beti #fatherdoughterbond