कोशिश ही नहीं की ख़ुद को आज़माने की। फ़िर भी देखो हाय लगी मुझको ज़माने की। बारिश में काग़ज़ की नाव हमने ख़ूब चलाई! फ़िक्र मेरे साथ रही सिर पे छाता उठाने की। वह बचपन था जिसमें हम मन चाहा करते! अब तो बस एक ही धुन है पैसा कमाने की। जो भी हमसे मिला वो पैसे की बात करता! बीबी बच्चे रिश्ते नाते पूछे नहीं फ़लाने की। ये प्यार मोहब्बत और चाहत की दौलत तो! गिरबी रखदी ख़ाली तिजोरी है दिखाने की। ♥️ Challenge-790 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।