अल्फ़ाज़ भी अजीब है कई रोज़ छुप जाते है आते है तक़रार में प्यार में चुप हो जाते है छाँव दोपहरी में वो अँधेरा घूप बन जाते है गफलत हो तो माफ़ी सच बोले तो तन जाते है आला है अंगारा भी ये ज़हर भी है मधुशाला भी रंगरेज़ कहो या कासिम, बंदा सच्चा हिम्मतवाला भी जो मन का माने कहना वो हर्फे उजाला भी तुम बचके यु रहना, तिलस्मी किस्मत वाला भी ऐ हिन्द तु सुना कोई अंदाज़े बया कुछ नसीबो से जुदा कुछ अलग कुछ नया में भारत कहता खुद को अब अलग है मेरे नाम कोई कहते है बदनाम कोई बोले नखलिस्तान जो होगा देखा जाएगा, गुमनामी के अंधेरो में हम आएंगे ऊंचाई पे, अदनानी सवेरो में में ख़ाक राहत हो गया हु मिट्टी के ढेरों में बांधेगा क्या मुझको ज़ालिम अपने नकली शेरो में #dharmuvach✍ हर नई पंक्ति दूसरी से अलग है, कोशिश की है कि जज़्बातों के मायने अल्फाज़ो से समज़ा सकु, बाकी अल्फ़ाज़ अपने आप मे जज़्बात होते है, जैसे डॉ. राहत इंदौरी थे,अपने आप में ग़ज़ल... #राहतइंदौरी #राहत_इंदौरी_साहब #राहत #अल्फाज़_मेरे_अपने #अल्फ़ाज़_ए_बयां #yqdidi #yqhindiurdu #dharmuvach