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सुबह वो भी सुहानी थी जब उन चंचल आँखों नें घर में ख

सुबह वो भी सुहानी थी
जब उन चंचल आँखों नें
घर में खुशियां पा ली थी
वो पल भी कितना
खुश मिजाज था
कि छोटी छोटी वो उँगलियाँ
उन हाथों में
कितनी कोमल सी
मासूम सी
दिल को धड़का रही थी
वो घर में उसके रोने से
और खुश होने से चहकना
हर किसी को भा रही थी
वो तुम थी बहना
जब तुम इस नयी दुनिया में आ रही थी (आज छोटी बहन के जन्मदिन पर )
सुबह वो भी सुहानी थी
जब उन चंचल आँखों नें
घर में खुशियां पा ली थी

वो पल भी कितना
खुश मिजाज था
कि छोटी छोटी वो उँगलियाँ
सुबह वो भी सुहानी थी
जब उन चंचल आँखों नें
घर में खुशियां पा ली थी
वो पल भी कितना
खुश मिजाज था
कि छोटी छोटी वो उँगलियाँ
उन हाथों में
कितनी कोमल सी
मासूम सी
दिल को धड़का रही थी
वो घर में उसके रोने से
और खुश होने से चहकना
हर किसी को भा रही थी
वो तुम थी बहना
जब तुम इस नयी दुनिया में आ रही थी (आज छोटी बहन के जन्मदिन पर )
सुबह वो भी सुहानी थी
जब उन चंचल आँखों नें
घर में खुशियां पा ली थी

वो पल भी कितना
खुश मिजाज था
कि छोटी छोटी वो उँगलियाँ