किनारे है समंदर के अलग दोनों लहरे ही एक दूसरे का पेगाम देती है । आज जहा सहरा है कभी वहां समन्दर हुआ करते थे ।। शायद उन आशिकों की आहो का नतीजा है रूद्र । आज वो जगह वीरान है जहा कभी गुलशन खिला करते थे ।। ***रूद्र***