एक बार मैने एक गोष्ठी में कहा, मैं लिखने में बेशक कमजोर हूँ, लेकिन खाना उससे बेहतर बनाता हुँ! इतना सुनते हि एक सज्जन ने चटकारी लेकर कहा हमें, तो सीधे सीधे कहीए ना आप ख़ानसामा हो, मैं ठहरा फक्कड़ मिज़ाज कवि, कहा सही है मैं ख़ानसामा हूँ और जरूरत मंदो की ज़िन्दगी में उम्मीद का पकवान बनाता हुँ। #nojotoApp #nojotohindi #poetry #जरूरतमंदो की ज़िन्दगी में उम्मीद का पकवान बनाता हुँ मैं वो ख़ानसामा हूँ !