कितना मुश्किल होता होगा उस शज़र के लिए जो अपनी पत्तियां तो नहीं गिन पाता रोज़, पर बिना नागा किये रोज़ गिनता है शाम को सभी वापस आये परिंदो को... और जब पाता है गिनती में कुछ कम परिंद तो उदास हो गिरा देता है अपनी उदासी से भीगी कुछ सूखी पत्तियां... घर के बुज़ुर्ग वही पेड़ होते हैं जो किसी कोने में बैठे बैठे गिनते रहते हैं हर शाम घर वापस आने वाले सदस्यों को... और स्वतः अचानक एक दिन गिर जाता है ये पेड़...और कहीं फिर किसी कोने से एक नया पौधा अचानक बड़ा हो ले लेता है जगह उस पेड़ की...सूखी उदास पत्तियां वापस आती हैं नयी जिम्मेदारी बनकर... Shazar = Tree Bina Naaga Kiye = Without Missing Parind = Birds Swatah = Automatically #modishtro #deepakkanoujia #pradhunik #cycleoflife #treestalk #oldagediary #buzurg #latenightquotes