फिर वही किनारे जो दिन से हारे साँझ जा गले लगे मध्यम में उतरे चाँद से निखरे किन्तु मन को अखरे नयन स्मृति भरे बीते दिन में उलझे कितने ठहरे नज़ारे किन्तु नयन अश्रु भरे धुंदलके पर हारे, . ©Kavitri mantasha sultanpuri #फिर_वही_किनारे #KavitriMantashaSultanpuri