यहां पे रोज़ लड़ने का तरीका ढूंढ लेते है वतन में जात, मजहब का वसीला ढूंढ लेते है किसी से तंग आकर हम, नई इक बीन चुनते है दबा कर इक बटन फिर से सपेरा ढूंढ लेते है नहीं पाई किसी ने बेटियां, बेटों में तुम देखो मगर बेटी में अक्सर एक बेटा, ढूंढ लेते है मुहब्बत करनी हो तुमको, न करना शोर फिर कोई सदा सुन कर तो अंधे भी निशाना ढूंढ लेते है यकीं करते नही खुद पे,गुरु को खोज करते है मसीहा मिल नहीं पाता, हरारा ढूंढ लेते है कोई पर्वत पे चढ़ता है, कोई गोते लगाता है मगर जो खुद में खोजे है, खज़ाना ढूंढ लेते है बहुत आवारा पत्थर है, पड़े रहते है राहों में मेरे माथे पे आके सब ठिकाना ढूंढ लेते है नमी जब रिसती रहती है , कोई भी हाल न पूछे वो जब गिरती इमारत है तो मलबा ढूंढ लेते है बहुत मिल जाते मैकश को ,बशर जो इसके जैसे है अगर सहरा में भी हो ये शनासा ढूंढ लेते हैं #yqdidi #yqshayari #bestyqhindiquotes #vishalvaid #विशालवैद #बेटी #मसीहा #सपेरा हरारा ***** धोखा देने वाला शानासा***** जान पहचान वाला यहां पे रोज़ लड़ने का तरीका ढूंढ लेते है वतन में जात, मजहब का वसीला ढूंढ लेते है किसी से तंग आकर हम, नई इक बीन चुनते है