इश्कबाज़ी उड़ान है दिल के फ़लक में। मोहिनी मुस्कान है इसकी महक में।। दिल नाख़ुश है, रुदन कर रहा है। पीड़ा असहनीय है, अकल्पनीय है, फिर भी सहन कर रहा है। जुड़ा हुआ ज़रूर है लेकिन टूटने के कगार पर, क्या पछता रहा है