फिर से उड़ चला रे पंछी ये कैसा, नज़रों में बसा है चेहरा ये ऐसा, चेहरे में वो जादू है चेहरा नूर जैसा, मैं तो खींचा चला रे... तेरी ओर। सागर जैसी आंखें हैं पलके हैं किनारा, देख ले जिसको ये आंखें हो जाए मतवाला, चेहरे में वो जादू है चेहरा नूर जैसा, मैं तो खींचा चला रे... तेरी ओर। होंठ गुलाबी जैसे मदिरा में हलचल, मुस्कुराहट सरोवर में खिलता हुआ कमल, चेहरे में वो जादू है चेहरा नूर जैसा, मैं तो खींचा चला रे... तेरी और।। फिर से #उड़ चला रे #पंछी ये कैसा, #नज़रों में बसा है #चेहरा ये ऐसा, चेहरे में वो #जादू है चेहरा #नूर जैसा, मैं तो खींचा चला रे... #तेरीओर। #सागर जैसी #आंखें हैं #पलके हैं #किनारा, देख ले जिसको ये आंखें हो जाए #मतवाला,