न जाने कैसे आजकल दिन भर की थकान सिरहाने रखकर सो जाती हूं जबकि पहले तो छोटी सी खरोंच मेरे आती और पूरा घर सिर पर उठा लेती थीं Rest In Caption...... कब इतना बदल गई न जाने कैसे आजकल दिन भर की थकान सिरहाने रखकर सो जाती हूं जबकि पहले तो छोटी सी खरोंच मेरे आती और पूरा घर सिर पर उठा लेती थीं अब तो कहीं राज़ मेरे अंदर ही दफन हो जाते हैं वरना पहले मेरे पेट में कहा कोई बात टिक पाती थीं खुद को बदल दिया दूसरों के लिए जबकि मैं वहीं लड़की हूं जो कभी कहा करतीं थीं की अपने आप से मोहब्बत करती हूं