पूर्णिमा के चाँद की तरह हो तुम देख खिल जाता हूँ रातरानी की तरह लगा लेता हूँ दो घूंट तेरे सोमरस के हो जाता हूँ उन्मुक्त भूल जाता हूँ बाकी दुनियां :💕🙋 बन्द कर देते हैं काम करना मेरे मन और बुद्धि जुड़ जाती है आत्मा तुझसे और बना लेती है बन्ध खिंचने लगता हूँ तेरी ओर