ये जो जी का जंजाल है इसी उधेड़ बुन का कंकाल है। "खोल" को खोल मत, जो खोले कंटाल है। ढोल की पोल होती है नगाडे़ की टंकार है। एक कहावत है ढोल की पोल खुलना जिसका मतलब है खोखलापन या कमजोरी उजागर होना। यह कहावत इसलिए बनी क्योकि ढोल दिखता तो खूब बड़ा है मगर अंदर कुछ नहीं होता , सिर्फ पोल होती है। ढोल का ही एक प्रकार नगाड़ा भी है । नगाड़ा भी उतना ही खोखला होता है जितना कि ढोल मगर कहावत में कभी नगाड़े की पोल नहीं खुली उलटे नगाड़े ने ही कई लोगों की सरेआम पोल खोली है । अब इसमे मत उलझ "ढोल की पोल है, नगाडे़ की क्यों नहीं"