हूँ चोटिल, घाव नया है पर, जग पलटी मार गया है पर, रग़ चीर-चीर कर लहू बहे, घुटनों तक छार गया है पर, आँखों में आग अभी भी है, मस्तक पर दाग अभी भी है, सीने में अजर तूफान भरा, मुख में हुँकार अभी भी है, कर दो उदघोष दिशाओँ में, है अभी भी रोष हवाओँ में, तन खंडित है, मन में साहस, है शौर्य और कब्ज़ा भारी है, यह हार मेरा उपहास नहीं, फिर लड़ने की तैयारी है। #yqbaba #yqdidi #hindipoetry #FirLadneKiTaiyaariHai