जिस आइने को दिन में , सिर्फ एक बार देखती थी! उसी आइने में घंटों भर, निहारती हूँ खुद को! न जाने कौन सी दूर्घटना हूई है खुद को खुद से खुबसूरत कहने का जी करने लगा है उन बहती हवाओं के जैसे, सब छू जाने का जी करने लगा है शायद मुझे धीमे धीमे इश्क़ होने लगा है!! 😌😌 Shayad mujhe Dhime Dhime Ishq hone laga hai