सीने में मेरे जलती है आग है याद मुझे वो लाल फाग जब वीरगति तुम थे पाए गंगा सी निर्मल है वो सारित जिसमें थे तेरे अवशेष बहाए गंगा सी निर्मल है वो सरित......... तुम आओ या ना आओ अब तुम याद रहोगे सदा मेरे सनम हमें प्राणों प्रिय रहे हो तुम तुम्हें प्राणों प्रिय रहा ये वतन ए धरती मुझे मेरा वो भगत लौटा दे तेरे सीने में जो बंदूक उगाए गंगा सी है वो सरित........... हर यौवन खुद में तुझको खोजे सब मांगे वो वक्ष, जो रोक दे तौबें तेरी बाट में कटे मेरी हर रात आज नहीं तो कल हो बात तू जन्मे मेरी ही कोख से हर मात यहीनिर्मल अरदास लगाए गंगा सी निर्मल है वो सरित............ एक तू चिराग था उस समय जिससे अंधियारा दूर हुआ उसी अंधेरे में फिर ये वतन आज जीने को मजबूर हुआ शायद तू फिर आकर रौशन करदे अत: नीरज ये कलम चलाए गंगा सी निर्मल है वो सरित.............. ©Neeraj Vats #bhagatsingh #भगतसिंह #भगतसिंहजन्मदिन #शाहिदेआज़मभगतसिंह #धरतीपुत्र #वीरभगत सीने में मेरे जलती है आग है याद मुझे वो लाल फाग जब वीरगति तुम थे पाए गंगा सी निर्मल है वो सारित