में रावण सत्य रूपी दुनिया तेरी विध्वंशक संहारक में रावण हु हु भूत प्रेत पिसाच का साथी में दसमुख दशानन रावण हु कलयुग मेरा प्रतिवर्ष संहारक कौन यहाँ पर न्यायिक है एक अवगुण लिये में जल बैठा और धर्म यहां व्यावसायिक है हरण मरण का दोष मुझे है मौत नही संतोष मुझे है धरा नाभि में जीवन जहां जो अवगुण मरा में असंतोष तुझे है हरवर्ष जलावत पुतलीमेरी अंदरका पापीतू नअफसोस तुझेहै राम नाम का जाप करे है भीतर अवगुण पाप धरे है दुनिया मे भ्रस्टाचारी तू ओर पापी इंसान तू मुझे नाम धरे है करा शिव का फिर जाप जो मेने सर्वप्रिय भक्त हर मौत हरे है मुहकी जाप करे बस तू फिर नर्क यात्रा में दिन रात मरे है पापी बोले मुझको दुनिया फिर क्यों यहां पर सत्य डरे है मारो मुझको वर्ष यहां में जीवित हु ओर अमर यहां पर दशमुख दसानन रावण। ~~~ ~~~~~~``````भरत रावण ।।।।।।dont mess