संघर्ष कोई हूं खुद ही विस्मृत में मैं स्वप्न हूं या हकीकत जो सोच रही हूं अधूरा है जो अनछुआ है कोशिश है छूने की मैं खुद का अस्तित्व बचाने का प्रयास करती हूं पर अस्तित्व ही मुझे बचा रहा है सोच है विराम की पर जीवन अविराम है असाधारण है जो जनता में वही तो आम है पंछियों की कलरव अरुणोदय की पहचान है मन का वियोग स्वयं पतझड़ के समान है शीर्ष से तल तक उत्तल से और अवतल तक सबका अपना अस्तित्व है, जारी हैं तलाश वो मोड़ उस लक्ष्य का जो चूमे कम कदम हमारे सत्य में।🙏 ©shalmali shreyanker #shalmalishreyanker #Virel #true #Life #जीवन #Ha #khani #Hope Suraj vishwakarma