ले मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गाँव के । अब अँधेरा जीत लेंगे लोग मेरे गाँव के । कह रही है झोपडी औ' पूछते हैं खेत भी, कब तलक लुटते रहेंगे लोग मेरे गाँव के । बिन लड़े कुछ भी यहाँ मिलता नहीं ये जानकर, अब लड़ाई लड़ रहे हैं लोग मेरे गाँव के । हर रुकावट चीख़ती है ठोकरों की मार से, बेडि़याँ खनका रहे हैं लोग मेरे गाँव के । दे रहे हैं देख लो अब वो सदा-ए-इंक़लाब, हाथ में परचम लिए हैं लोग मेरे गाँव के । एकता से बल मिला है झोपड़ी की साँस को, आँधियों से लड़ रहे हैं लोग मेरे गाँव के । #andolanjivi #loktantrajivi #FarmersProtest #KisanAndolan ©MANJEET SINGH THAKRAL ले मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गाँव के । अब अँधेरा जीत लेंगे लोग मेरे गाँव के । कह रही है झोपडी औ' पूछते हैं खेत भी, कब तलक लुटते रहेंगे लोग मेरे गाँव के । बिन लड़े कुछ भी यहाँ मिलता नहीं ये जानकर, अब लड़ाई लड़ रहे हैं लोग मेरे गाँव के ।